लाल किताब में घरों (भावों) का फल और उनका शुभ-अशुभ प्रभाव:


लाल किताब के अनुसार, 12 घरों का अलग-अलग महत्व और प्रभाव होता है। प्रत्येक घर का संबंध जीवन के किसी विशेष क्षेत्र से है। साथ ही, ग्रहों की स्थिति के अनुसार, घर का फल शुभ या अशुभ हो सकता है।



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1. पहला घर (लग्न):


कारक: शरीर, स्वभाव, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व।


शुभ:


ग्रह मजबूत हों तो व्यक्ति आकर्षक, साहसी और स्वस्थ होता है।


जीवन में सफलता जल्दी मिलती है।



अशुभ:


कमजोर ग्रह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, अहंकार, और आलस्य का कारण बनते हैं।



विशेष: इस घर का स्वामी मंगल है।




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2. दूसरा घर (धन भाव):


कारक: धन, परिवार, वाणी, बचपन।


शुभ:


धनवान और सुखी परिवार मिलता है।


वाणी में मिठास होती है।



अशुभ:


आर्थिक समस्याएं, परिवार में विवाद, और वाणी में कटुता।



विशेष: चंद्रमा और बृहस्पति के लिए यह घर शुभ है।




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3. तीसरा घर (पराक्रम भाव):


कारक: साहस, छोटे भाई-बहन, पराक्रम, यात्रा।


शुभ:


साहसी और मेहनती व्यक्ति बनता है।


यात्राओं से लाभ होता है।



अशुभ:


आलस्य, साहस की कमी, छोटे भाई-बहनों से मनमुटाव।



विशेष: शनि और मंगल के लिए शुभ है।




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4. चौथा घर (सुख भाव):


कारक: माता, घर, संपत्ति, वाहन।


शुभ:


माता का सहयोग, घर-संपत्ति का सुख, मानसिक शांति।



अशुभ:


मानसिक तनाव, माता से दूरी, घर या संपत्ति से जुड़ी समस्याएं।



विशेष: चंद्रमा के लिए यह सबसे शुभ घर है।




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5. पांचवां घर (विद्या भाव):


कारक: शिक्षा, बुद्धि, संतान, प्रेम संबंध।


शुभ:


उच्च शिक्षा, अच्छी बुद्धि, और सुखी संतान।



अशुभ:


शिक्षा में बाधा, संतान से कष्ट, प्रेम संबंधों में परेशानी।



विशेष: सूर्य और बृहस्पति के लिए यह घर शुभ है।




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6. छठा घर (रोग भाव):


कारक: रोग, ऋण, शत्रु।


शुभ:


शत्रु पर विजय, रोगों से मुक्ति।


कर्ज चुकाने की क्षमता।



अशुभ:


कर्ज, बीमारियां, शत्रुओं से परेशानी।



विशेष: मंगल और शनि के लिए यह घर शुभ है।




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7. सातवां घर (विवाह भाव):


कारक: विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी।


शुभ:


सुखी वैवाहिक जीवन, व्यापार में लाभ।



अशुभ:


वैवाहिक जीवन में तनाव, साझेदारी में धोखा।



विशेष: शुक्र के लिए यह सबसे शुभ घर है।




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8. आठवां घर (आयु भाव):


कारक: आयु, गुप्त विद्या, मृत्यु।


शुभ:


गुप्त ज्ञान की प्राप्ति, दीर्घायु।



अशुभ:


अचानक दुर्घटनाएं, जीवन में उतार-चढ़ाव।



विशेष: राहु और केतु के लिए यह घर अनुकूल है।




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9. नौवां घर (भाग्य भाव):


कारक: भाग्य, धर्म, पिता, विदेश यात्रा।


शुभ:


भाग्यवान, धार्मिक कार्यों में रुचि।


विदेश यात्रा से लाभ।



अशुभ:


भाग्य का साथ न मिलना, पिता से मतभेद।



विशेष: सूर्य और गुरु के लिए शुभ है।




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10. दसवां घर (कर्म भाव):


कारक: कार्यक्षेत्र, पेशा, समाज।


शुभ:


कार्यक्षेत्र में सफलता, सामाजिक सम्मान।



अशुभ:


करियर में बाधाएं, अपमान।



विशेष: शनि और सूर्य के लिए सबसे शुभ है।




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11. ग्यारहवां घर (लाभ भाव):


कारक: लाभ, मित्र, इच्छाओं की पूर्ति।


शुभ:


धन और इच्छाओं की पूर्ति।


अच्छे मित्र मिलते हैं।



अशुभ:


इच्छाओं में असफलता, मित्रों से धोखा।



विशेष: राहु के लिए शुभ है।




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12. बारहवां घर (व्यय भाव):


कारक: व्यय, मोक्ष, विदेश, मानसिक शांति।


शुभ:


आध्यात्मिक विकास, विदेश यात्रा से लाभ।



अशुभ:


अनावश्यक खर्चे, मानसिक तनाव।



विशेष: केतु और शनि के लिए यह घर अनुकूल है।





ग्रहों का घर में प्रभाव:


ग्रहों की स्थिति के अनुसार, हर घर का शुभ-अशुभ प्रभाव बदल सकता है। लाल किताब में घरों और ग्रहों के संतुलन के लिए सरल उपाय दिए गए हैं।

अगर आप किसी विशेष घर या ग्रह से जुड़ी समस्या जानना चाहते हैं, तो विस्तृत जानकारी दे सकते हैं।